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Showing posts from February, 2010

raj ki baat

सांप और पाप में बस इतना सा अंतर है की सांप दिखाई देता है और पाप दिखाई nahi देता हैं. किन्तु दोनों हव्वा के वेग से बड़ते है जैसे-- सांप जैसा- जैसे हंवा के संपर्क में आता है वैसे-वैसे बढता जाता हैं. उसी प्रकार से पाप भी शुरू करने से बढता ही जाता है कभी बंद नहीं होता हैं
दिल तो पागल है किन्तु आपका नहीं भाई . आप के पडोसी का यहीं तो राज हैं समझो इस बात को
सूर्य की तरह हमेसा खिले राहो
 दिल से बात करो कभी भी आप को परेसानी नहीं होगी. ये हम नहीं ज़माना कहता हैं.