सांप और पाप में बस इतना सा अंतर है की सांप दिखाई देता है और पाप दिखाई nahi देता हैं. किन्तु दोनों हव्वा के वेग से बड़ते है जैसे-- सांप जैसा- जैसे हंवा के संपर्क में आता है वैसे-वैसे बढता जाता हैं. उसी प्रकार से पाप भी शुरू करने से बढता ही जाता है कभी बंद नहीं होता हैं
i am dinesh kumar rajak ap sab ak welcome karta hu